शनिवार, 24 अगस्त 2019


                     समय का सदुपयोग
समय का उपयोग सदैव सुंदर कार्यों में करें और इस स्वर्ग तुल्य संसार में 100 वर्ष तक सुख पूर्वक अच्छे से जिए।

मनुष्य जीवन में समय का सर्वाधिक महत्व है जिन्होंने समय का सदुपयोग करना नहीं सीखा उनके सामने कठिनाइयां असफलताएं ही आती रही समय का उपयोग धन के उपयोग से कहीं अधिक विचारणीय है क्योंकि उस पर मनुष्य की सुख-सुविधाओं के सभी पहलुओं अवलंबित हैं।

इसलिए हमें अर्थ अनुशासन के साथ साथ नियमित जीवन जीने का प्रशिक्षण भी प्राप्त करना चाहिए जो समय व्यर्थ में ही खो दिया गया उसमें यदि कमाया जाता तो अर्थ प्राप्ति होती स्वाध्याय या सत्संग में लगाते तो विचार और सन्मार्ग की प्रेरणा मिलती कुछ नहीं करते केवल नियमित दिनचर्या में ही लगे रहते तो इस क्रियाशील के कारण अपना स्वास्थ्य तो भला चंगा रहता समय के अपव्यय से मनुष्य की शक्ति और सामर्थ्य ही घटती हैं।

कहना न होगा कि नष्ट किया हुआ वक्त मनुष्य को भी नष्ट कर डालता है संसार का काल चक्कर भी कहीं अनियमित नहीं लॉक और दिक पाल पृथ्वी और सूर्य चंद्र और अन्य ग्रह वक्त की गति से गतिमान है वक्त की अनियमितता होने से सृष्टि का कोई काम चलता नहीं धरती पर यही नियम लागू है।

लोग समय का अनुशासन ना रखे तो रेल डाक कल कारखाने कृषि कमाई आदि सभी ठप पड़ जाएं और उत्पादन व्यवस्था में व्यतिक्रम के साथ सामान्य जीवन पर भी उसका प्रभाव पड़े एक तरह से सारी सामाजिक व्यवस्था उठल सुतल हो जाएं और मनुष्य को 1 मिनट भी सुविधा पूर्वक जीना मुश्किल हो जाए।

जिस तरह अभी लोग भली प्रकार सारे क्रियाकलाप कर रहे हैं वैसे कदापि नहीं हो सकते खट्टे हैं हमको भी अपनी दिनचर्या को अपने कार्यों की आवश्यकता अनुसार व्यक्त करके उसी के अनुसार कार्य करना चाहिए अपने कार्यों का वर्गीकरण

1.स्वास्थ्य 2.शिक्षा 3.सामाजिक

सदाचार के प्रति चेक कीजिए और 1 दिन के बाद तो इसी क्रम से बांटकर अपने लिए एक व्यवस्थित दिनचर्या बांध लीजिए और उसी अनुसार चलते रहिए इसी में आपकी सारी बातों का समावेश किया जाना चाहिए और उसी के अनुरूप जीवन क्रम चलता रहना चाहिए।

इससे आप अधिक सुख में जीवन जी सकेंगे वैयक्तिक सुख सुखोपभोग और सांसारिक कार्यों में समता वान होने के लिए आपका स्वस्थ रहना बहुत जरूरी है स्वास्थ्य सुख जीवन की प्रमुख शर्त हैं अतः उन सभी नियमों को प्राथमिकता दीजिए जिसमें आपका शरीर और मन स्वस्थ व सशक्त रहता है।

हमेशा शुरू देर से कम से कम एक घंटा पहले उठा कीजिए और सोच स्नान आदि से निर्मित होकर कुछ डालने का व्यायाम आदि की व्यवस्था बना लीजिए प्राप्त काल की मुक्त वायु शरीर को शक्ति और पोषण प्रदान करती है दिन भर दे हैं इस पूर्ति और ताजगी से भरी रहती है।
इस अवसर को घुमाना रोग और दुर्बलता को निमंत्रण देने से कम नहीं तब भी जो बिस्तरों में पड़े सोते रहते हैं वह प्राप्त कालीन शुद्ध वायु से वंचित रह जाते हैं और उनका शरीर सुस्त और निस्तेज हो जाता है वह कोई भी कार्य आधी रुचि से करते हैं तदनुरूप सफलता भी आधी ही मिलती है।

दिन भर के कार्यों का अनुमानित आकार भी आप बिस्तर से उठते ही बना लीजिए उसमें परिश्रम पूर्वक लग जाया कीजिए सफलता के लिए फिर या परेशानी मन में नहाने देकर मस्ती पूर्वक सुबह से शाम तक काम में जुटे रहिए।

यह क्रियाशीलता आपको रोगों और चिंताओं से दूर रखेगी याद रखिए कि नियमित वक्त पर किया हुआ काम पूर्ण रूप से भली-भांति संपन्न होता है और इसके पूरा हो जाने से आंतरिक उल्लास और प्रसन्नता की वृद्धि होती है।

इससे शारीरिक स्वास्थ्य के साथ-साथ मनोबल तथा आत्मबल भी बढ़ता रहता है इसी तरह साईं काल को भी अपने उन सभी कार्यों की समीक्षा करनी चाहिए जो दिन भर अपने किए हैं।

उनमें से कोई ऐसा लिखें जिससे आपके शरीर अथवा मानसिक स्वास्थ्य पर कुप्रभाव पड़ता हो तो उससे आगे के लिए रोकने या कम करने का प्रयत्न कीजिए सारांश यह है कि वक्त का विभाजन करते वक्त आप स्वास्थ्य की बात को भी ध्यान में रखिए और उसे प्रति बेपरवाह मत हो जाइए।
आप चाहे तो वक्त के उपयोग और व्यवस्थित कार्य प्रणाली द्वारा स्वयं ही स्वस्थ बने रह सकते हैं कार्यों में इनका दुरुपयोग करने से आलस्य में भी हो सकते हैं पर याद रखें उस बात का ध्यान जितनी देर बाद आएगा अपने आप उतना ही पिछड़ा हुआ अनुभव करेंगे समय का महत्व अमूल्य है।

उसके समुचित सदुपयोग की शिक्षा ग्रहण करें तो मनुष्य जीवन में स्वर्ग का सा सुखोपभोग प्राप्त किया जा सकता है आवश्यक है कि अपने वक्त को उचित प्रकार से दिनभर के कार्यों में वांट लें जिससे जीवन के सब काम सुचारू रूप से होते चले जाएं।

हमें इस बात का सदैव ध्यान रखना चाहिए कि वक्त ही जीवन है यदि हमें अपने जीवन से प्रेम हैं तो अपने वक्त का सदुपयोग भी करना चाहिए हम अपनी पढ़ाई का समय निश्चित करें मन लगाकर पढ़ो 1 मिनट भी बर्बाद ना करें।

हम अपना वक्त आलस्य और निरर्थक कार्यों में खर्च न करें आलस्य दुनिया के सबसे भयंकर बीमारी है हालत से समस्त रोगों की जड़ हैं उसे साक्षात मृत्यु कहे तो इसमें अत्युमैं न होगी अन्य बीमारियों से तो शरीर सारे मनुष्य जीवन को ही खा डलता है।

आलस्य में पड़कर मनुष्य की क्रिया शक्ति कुंठित होने लगती है जिससे न केवल शरीर सिटी पड़ता है वरन आर्थिक आय के साधन भी शिथिल पड़ जाते हैं हमारे जीवन व्यवस्था के लिए समय रूपी बहुमूल्य उपहार परमात्मा ने दिया है।

इसका एक-एक दिन एक-एक मोती के समान कीमती है जो उन्हें बटोर कर रखता है सदुपयोग करता है वह यहां सुख प्राप्त करता है गांव आने वाले व्यक्ति के लिए वक्त ही मृत्यु है वक्त के दुरुपयोग से जीवनी शक्ति का दुरुपयोग होता है।

और मनुष्य जल्दी ही काल के गाल में समा जाता है इसलिए हमें चाहिए कि समय का उपयोग सदैव सुंदर कार्यों में करें और इस स्वर्ग तुल्य संसार में 100 वर्ष तक सुख पूर्वक अच्छे से जिए।

✍️यह मेरे मन से लिखे हुए विचार हैं लेखक सोनू शर्मा🙏

        🙏अगर कोई गलती हो तो हमें क्षमा करना🙏


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